अगले लोक सभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी के लिए ये बहुत बुरी ख़बर है. पहले बिहार तो अब महाराष्ट्र, दो महत्वपूर्ण राज्यों में पार्टी में बग़ावत साफ़ दिखाई दे रही है.
पहले बात गोपीनाथ मुंडे की. प्रमोद महाजन के बहनोई मुंडे महाजन के रहते राज्य ईकाई के सर्वेसर्वा बने रहे. दोनों में सहमति रही कि महाजन दिल्ली में बैठ कर महाराष्ट्र बीजेपी को अपने डंडे से हांकते रहेंगे और मुंडे वहां उनके प्रतिनिधि रहेंगे.
लेकिन महाजन के निधन के बाद तस्वीर बदल गई. बीस साल से दबे-कुचले रहे महाराष्ट्र बीजेपी के दूसरे नेताओं की महत्वाकांक्षा सिर उठाने लगी. राज्य बीजेपी के अध्यक्ष नितीन गडकरी ने इसमें पहल की. केंद्रीय नेतृत्व ने भी मौके की नज़ाकत भांपते हुए गड़करी के इरादों को हवा दी.
इस बीच, मुंडे महाजन से हुई खाली जगह को भरने के लिए दिल्ली की राजनीति में आ गए. उन्हें पार्टी ने महासचिव बना दिया. वो राजस्थान के प्रभारी भी रहे. पिछले साल जाट-गुर्जर संघर्ष को सुलझाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई.
लेकिन दिल्ली में रहते हुए भी मुंडे की नज़रें महाराष्ट्र पर ही लगी रहीं. पर पहले जैसी बात नहीं रही. चाहे शिवसेना से गठबंधन का सवाल हो, या फिर राज्य सभा और विधान परिषद के उम्मीदवारों के चयन का, मुंडे अपनी बात नहीं मनवा सके. हर जगह नितीन गड़करी का पलड़ा ही भारी रहा.
मुंडे को करारा झटका तब लगा जब मधु चव्हाण को मुंबई बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया. वो किरीट सोमैय्या या फिर राज पुरोहित को अध्यक्ष बनवाना चाहते थे. ये दोनों ही नेता महाजन के वफादार रहे हैं. राज पुरोहित से मेरी मुलाकात जयपुर में भी हुई थी जहां वो जाट गुर्जर विवाद सुलझाने में मुंडे की मदद कर रहे थे.
लेकिन महाजन के साये से महाराष्ट्र बीजेपी को दूर करने में लगे केंद्रीय नेतृत्व ने तरज़ीह दी मधु चव्हाण को. वो इसलिए क्योंकि वरिष्ठता में ये दोनों ही नेता उनका मुकाबला नहीं कर सकते. आखिर महाजन पर आरोप भी तो यही लगता रहा कि उन्होंने राज्य में अपनी कोटरी से अलग लोगों की वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ कर उनके पर काटे.
यही बात मुंडे को रास नहीं आई. राज्य सभा की उम्मीदवारी में भी रेखा महाजन को टिकट नहीं मिल सका. और प्रकाश जावड़ेकर का पत्ता काटने के लिए आखिरी मौके पर दत्ता मेघे तक का नाम चलवा दिया गया था.
मुंडे से नुकसान
लेकिन मुंडे की ये नाराज़गी बीजेपी के लिए बुरा संकेत है. मुंडे का महाराष्ट्र की राजनीति में अपना कद है. लोक सभा चुनाव से ठीक पहले इस ओबीसी नेता का मुंह फुलाना बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
औरंगाबाद और उसके आस-पास के इलाकों में मुंडे काफी असर रखते हैं. वो राज्य के उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. ऐसे में उनका नाराज़ होना राज्य में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है.
ख़बर है कि वो छगन भुजबल के संपर्क में हैं. ये दोनों नेता मिल कर नया गुल खिला सकते हैं. उधर, राज ठाकरे भी इसी इंतज़ार में हैं कि उनके साथ कोई बड़े नेता आएं.
इसीलिए मौके की नज़ाकर भांप कर केंद्रीय नेतृत्व सक्रिय हो गया है. बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है कि मुंडे का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाएगा. साथ ही, उन्हें मनाने की कोशिशें भी तेज़ हो गई हैं.
लेकिन राजनीतिक विश्लेषण ये कहता है कि मुंडे ने ये कदम उठा कर जल्दबाजी दिखाई है. बीजेपी से अलग हो कर वो चाहे आने वाले चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाएं लेकिन वो खुद भी फायदे में नहीं रहेंगे. बीजेपी में रहना सिर्फ उन्हीं के नहीं बल्कि पूनम महाजन के भविष्य का भी सवाल उठाता है जो दक्षिण मुंबई से लोक सभा का चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटी हैं.
ये बीजेपी का इतिहास भी बताता है कि जो नेता उससे अलग हुए वो कामयाब नहीं हो सके. उन्होंने बीजेपी को तो नुकसान पहुंचाया लेकिन खुद भी ज़्यादा कुछ हासिल नहीं कर सके और आखिरकार लौट कर बीजेपी में ही आना पड़ा.
पार्टी के एक नेता ने मुझसे कहा है कि बॉक्सिंग रिंग में रह कर आप चाहे अपने प्रतिद्वंद्वी पर कितने ही प्रहार कर लें लेकिन रिंग से बाहर निकलते ही आपका मुकाबला ख़त्म हो जाता है. इसलिए बीजेपी में अगर अपनी बात मनवानी है तो रिंग में रहना ज़रूरी है.
Monday, April 21, 2008
बीजेपी का घमासान
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2 comments:
बीजेपी ही नही, देश की हर पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नितांत ज़रूरी है। नहीं तो देश में लोकतंत्र पूरी तरह फल-फूल नहीं सकता। मुंडे और महाजन ने महाराष्ट्र के कद्दावर नेताओं को नहीं पनपने दिया, यह सच हो सकता है। लेकिन मुंडे की नाराजगी और त्यागपत्र को व्यापक अर्थों में देखा जाना चाहिए।
ABE AKHILESH SHARMA . CHAPIHEDA KE CHAPE TEREKO BLOG WLOG KI KYA SUCHE . BHUL GAYA WO DIN JAB TEREI COLLLEGE ME MARI THE . ABE AIDE AB GREAT WALL OF CHINA KE SAMANE PHOTO KICHAWA RAHA HAI . PEHALE DRAVID THE WALL KE JANMSHAHAR ME WALL KE AGE SUSU KARATA THA BAND KAR DE BLOG . WARANA MAI TEREKO BAND KAR DUNGA .
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